क्युंकि...तुम मां हो,तुम्हीं देवी हो
मैं वृक्ष हूं,तो तुम जड़ हो
मैं दिल हूं,तो तुम धड़कन होमैं प्यास हूं,तो तुम जल हो
क्यूंकि...तुम मां हो,तुम्हीं देवी हो
तुम ममता की सागर हो
तुम्हीं प्रेम की गागर हो
हजारों दुखों को सहती हो
फिर भी कुछ ना कहती हो
क्यूंकि...तुम मां हो,तुम्हीं देवी हो
गलती करने पर डांट लगती हो
फिर गले लगा कर प्यार जताती हो
हमेशा मुख पर मुस्कान रखती हो
और अपने गमों को दिल मे छिपती हो
क्योंकि...तुम मां हो,तुम्हीं देवी हो
झूठ बोलकर सुबह उठाती हो
फिर ठण्डे-ठण्डे पानी से नहलाती हो
खुद दिन-दिन भर भूखे रह जाती हो
मगर हमें समय पर खाना खिलाती हो
क्यूंकि...तुम मां हो,तुम्हीं देवी हो
-प्रकाश
very true lines......
ReplyDeleteTq
DeleteNice
ReplyDeleteEk no. Bhai
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